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रविवार, 9 फ़रवरी 2025

सिरसा नप चुनाव : भाजपा की ‘लोकल’ नाराजगी से ‘शीर्ष’ के प्यारे कांडा अब किनारे

 चुनाव से ज्यादा राजनीति के बदलते रंगों की चर्चा 


सिरसा। कहते हैं कि राजनीति में कुछ भी स्थाई नहीं होता, इसमें आपदा के अनुसार अवसर पैदा होते रहते हैं। कुछ ऐसा ही नजारा सिरसा की राजनीति में देखने को मिल रहा है। शहर की सरकार के लिए चुनाव का बिगुल बज चुका है, ऐसे में शहर के हर गली-मोहल्ले, नुक्कड़ में चुनावों की चर्चा है। लेकिन सिरसा में चुनाव से ज्यादा राजनीति के बदलते रंगों की चर्चा अधिक है। कभी भाजपा के गुणगान करते हुए कभी न थकने वाले कांडा बंधुओं को अब पार्टी ने किनारे कर दिया है। भाजपा के स्थानीय नेताओं ने इन बंधुओं से दूरी बनाते हुए नगर पालिका चुनाव मेें अपनी चौसर बिछाने का पक्का इरादा जाहिर कर दिया है। पिछले दिनों भाजपा के युवा नेता ने स्पष्ट शब्दों में इशारा कर दिया कि जिन्होंने विधानसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन लिया था, अब उनको बिना शर्त भाजपा के साथ आना चाहिए। किंतु इसके जवाब में हलोपा सुप्रीमो के अनुज ने भी भाजपा नेता पर कई कटाक्ष कर डाले और गंभीर आरोप भी जड़ दिए। शब्दों के विषैले तीरों ने दोनों ओर आक्रोश इतना बढ़ा दिया कि अब भाजपा और हलोपा दोनों नप चुनाव के लिए अलग-अलग राह पकड़ चुके हैं। चेयरमैन के लिए भाजपा के पास 10 उम्मीदवारों ने आवेदन कर दिया है। वहीं हलोपा ने भी आवेदन मांगे हैं। 

उम्मीदवार रिवर्स करने से उठानी पड़ी थी फजीहत

अक्तूबर 2024 में हुए विस चुनाव में भाजपा ने सिरसा सीट पर पहले रोहताश जांगड़ा को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन नामांकन वापसी के अंतिम दिन अपने उम्मीदवार को रिवर्स करते हुए हलोपा सुप्रीमो गोपाल कांडा के समर्थन आ खड़ी हुई थी। इस राजनीतिक घटनाक्रम से भाजपा को काफी फजीहत भी झेलनी पड़ी थी। हालांकि विस चुनाव में भाजपा स्पष्ट बहुमत से प्रदेश की सत्ता पर फिर से काबिज हो गई। लेकिन भाजपा के स्थानीय नेताओं को यह बात नाग्वार गुजरी, जिसके चलते भाजपा की जिला इकाई कांडा बंधुओं से दूरी बनाने लगी थी। अब नप चुनाव में भाजपा के लोकल लीडर ऐसी गलती को दोहराना नहीं चाहते। इसीलिए शीर्ष नेताओं के प्यारे कांडा बंधुओं को किनारे करते हुए भाजपा अब खुद के वजूद को जिंदा करने में जुट गई है। 

उधर कांडा बंधुओं की राजनीतिक शह-मात से पूरा सिरसा वाकिफ है। भले ही विस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार गोकुल सेतिया ने गोपाल कांडा को हरा दिया था, मगर गोपाल कांडा भी राजनीति शतरंज के माहिर खिलाड़ी हैं। देखना दिलचस्प होगा कि नप चुनाव में बाजी किसके हाथ लगने वाली है, क्योंकि कांग्रेस भी अब आपसी मनमुटाव से निकलकर राजनीतिक एकजुटता का दम भरने लगी है।  


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