चुनावी सरगर्मियां हुई तेज
नगर परिषद के चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं। राजनीतिक दल मतदाताओं की नब्ज टटोलने में जुट गए हैं। इस चुनाव के लिए राजनीतिक दल ज्वलंत मुद्दों को धार देने की तैयारी में हैं। छोटी सरकार के नाम से विख्यात इस चुनाव के लिए पार्षद व चेयरमैन के संभावित चेहरों पर भी मंथन हो रहा है। । सूत्रों के अनुसार, फरवरी के दूसरे सप्ताह में नगर पालिका चुनाव होने की संभावना है। चूंकि सिरसा नगर परिषद की चेयरमैनी के चुनाव इस बार सीधे मतदाताओं द्वारा होगा, ऐसे में मुकाबला बड़ा रोचक रहने वाला है। हालांकि इससे पूर्व वार्डों के चुने हुए पार्षद अपने वोट से चेयरमैन का चुनाव करते थे। बता दें कि सिरसा नगर परिषद के चेयरमैन का पद अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। किंतु इससे पहले जनरल वर्ग में चुनावी मुकाबले को लेकर चर्चाओं का दौर था, जिसे लेकर तमाम बड़े नेता अपने युवराजों को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर चुके थे। मगर, सिरसा सीट आरक्षित होने से उनके मंसूबों पर पानी फिर गया।
चैयरमैनी के लिए चलती है तिकड़म!
नगर परिषद की चेयरमैनी हासिल करने के लिए बड़े-बड़े नेताओं की ओर से हर संभव प्रयास किए जाते रहे हैं। इस कुर्सी को हथियाने के लिए साम-दाम-दंड की नीति भी अपनाई गई। यही कारण था कि पॉवर हासिल होते ही कईयों के वारे-न्यारे हो गए। नगर परिषद में भ्रष्टाचार का बोलबाला किसी से छुपा नहीं है। सरकारी ग्रांट की जमकर लूट खुली आंखों से देखी जा सकती है। जीरो टॉलरेंस का नारा देनी वाली भाजपा सरकार इस छोटी सरकार में फैले भ्रष्टचार को नकेल डालने में विफल नजर आई है।
इस चुनाव में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा
एमसी चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा भ्रष्टाचार का है। नगर परिषद के भ्रष्टाचार को लेकर न केवल भाजपा, बल्कि हलोपा, कांग्रेस पार्टी भी कटघरे में आ सकती है। पिछले पांच सालों में नगर परिषद में जो करोड़ों के घोटालों को अंजाम दिया गया, उस पर सत्तारूढ़ भाजपा मूकदर्शक बनी रहीं। वहीं हलोपा और कांग्रेस ने भी भ्रष्टाचार पर चुप्पी साधे रखी। बेशक उस दौरान गोकुल सेतिया ने भ्रष्टाचार मुद्दे पर अपना विरोध दर्ज करवाया लेकिन कार्यवाही सिर्फ खानापूर्ति तक अटकी रही। नप में घोटालों की लिस्ट बड़ी लंबी है, जैसे सरकारी खजाने से स्टार्म वॉटर प्रोजेक्ट, गलियों के नाम पर, सड़कों, स्ट्रीट लाईट, पार्कों, डस्टबिन की खरीद, बैंच, जिम उपकरण सहित तमाम कार्यों में भ्रष्टाचार का खेल चला। लेकिन किसी मामले की न जांच की गई और न कोई कार्रवाई हुई।
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