शीत लहर से पहले ही करें ऐसी तैयारी
सिरसा, हरभजन सिद्धू। पशुपालन एवं डेयरी विभाग के पूर्व उपनिदेशक डॉ विद्यासागर बांसल ने बताया कि मौसम में बड़ा बदलाव आया हुआ है। ठंड के चलते पशुओं के बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है, ऐसे में उचित देखभाल करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि जब वातावरण का तापमान 4° सेल्सियस से कम हो जाता है तो शीतलहर माना जाता है। इससे पशुओं में नुकसान, पशु कितने समय तक कम तापमान में रहा, वातावरण में नमी का लेवल तथा हवा की गति पर निर्भर करता है। पूर्व में शीतलहर का पूर्वानुमान, आमजन को इस बाबत सचेत करना व शीतलहर से बचाव हेतू समय रहते तैयारी करने से काफी हद तक इससे होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है । शीतलहर से पालतू पशुओं व जंगली जानवरों में सदैव चोटिल होने व मृत्यु होने कि संभावना बनी रहती है । नवजात बालपशु/ युवा पशु/ श्वसनतंत्र की बीमारी से पीड़ित पशु / दुधारू पशु व कमजोर पशुओं पर शीतलहर का प्रभाव अधिक होता है। शीतलहर के दौरान पशुओं के शरीर का तापमान कम हो जाता है, जिससे पशुओं को भूख कम लगना, भारी पशुओं में जोड़ों में दर्द का होना, कुत्तों में कैनल कफ़ व श्वसनतंत्र की बीमारियां आदि का होना अमूमन लक्षण पाये जाते हैं ।
*शीतलहर से बचाव के उपाय*
1 सर्दियों के दिनों में पशुपालकों को आसपास के मौसम के पूर्वानुमान बारे जानकारी रखना चाहिए।
2 सर्दियों के दिनों में पशुओं के आवास का उचित प्रबंध करना चाहिए। टीन शेड से निर्मित पशु आवास को घास-फूस के छप्पर से चारों ओर से ढक देना चाहिए ताकि पशुओ को ठंडी हवा से बचाया जा सके । पशुबाड़ों का निर्माण मौसम के अनुकूल करना चाहिए ताकि सर्दियों में अधिकतम धूप शेड में आ पाये ।
3 अत्यधिक सर्दी के दौरान पशुबाड़ों में लाइट का उचित प्रबंध होना चाहिए ।
4 सर्दियों के दिनों में धूप निकलने पर पशुओं को धूप में बांधे ताकि उनके शरीर का तापमान सामान्य रहे ।
5 सर्दियों के दिनों में पशुओं को अधिक ऊर्जा पैदा करने वाले अवयव जैसे खल व गुड आदि के साथ-साथ संतुलित आहार दें ताकि पशुओं का शरीर गरम रहे ।
6 सर्दियों के दिनों में पशुओं के बैठने के स्थान को सूखा रखने के लिए पराली इत्यादि का प्रयोग करें ।
7 सर्दियों के दिनों में पशुओं के पीने के लिए गर्म/ गुनगुने पानी का प्रयोग करें ।
8 सर्दियों के दिनों में धूप निकलने पर पशुओं को गर्म/ ताजा पानी से नहलाकर सरसों के तेल की मालिश करे जिससे पशुओं को खुश्की आदि से बचाया जा सके ।
9 नवजात बच्चों व बीमार पशुओं को रात के समय किसी बोरी या तिरपाल से ढक दें तथा धूप निकलने पर हटा दे ।
10 सर्दियों के दिनों में दुधारू पशुओं व 6 मास से अधिक गाभिन पशुओं को अधिक मात्रा में संतुलित पोषाहार दें ।
11 पक्षियों के शेड में तापमान-नियंत्रण यूनिट लगा होना चाहिए ।
12 सर्दियों के दिनो में समय-समय पर पशुओं को मुंहखुर, गलघोटू, पी.पी.आर, ई.टी.वी. शीप पोक्स इत्यादि का टीका पशुचिकित्सक की सलाह अनुसार लगवाना चाहिए ।
13 सर्दियों के दिनों में पशुओं को समय-समय पर कृमि रहित करना चाहिए।
14 पशुओं को बाह्यीय जीवों के प्रकोप से बचाने के लिए समय-समय पर कीटाणुनाशक घोल का छिड़काव करके पशुशालाओं को विसंक्रमित किया जाना चाहिए l
शीतलहर के दौरान पशुपालकों को निम्न कार्य नहीं करने चाहिए
1 सर्दियों में पशुओं को खुले स्थान पर न तो बांधे और न ही घूमने के लिए खुला छोड़ें ।
2. पशुबाड़ों में नमी व धुआँ नहीं होना चाहिए ।
2 सर्दियों में पशुओं को ठंडा आहार व ठंडा पानी नहीं पिलाना चाहिए ।
3 सर्दियों में पशुओं को रात के समय व अत्यधिक ठंड में बाहर नहीं रखना चाहिए ।
4 सर्दियों में जहां तक संभव हो, पशु मेला का आयोजन नहीं करना चाहिए ।
5 पशुओं के मृत शरीर को पशुओं की चारागाह के आस पास दफन नहीं करना चाहिए।
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